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1951 से अब तक 35 सांसद चुने गये निर्विरोध!

 30 Apr 2024

सूरत लोकसभा क्षेत्र के लिए निर्विरोध निर्वाचन के बाद इस मुद्दे पर बहस तेज़ हो गयी है। 1951 से लेकर अब तक कुल 35  संसद ऐसे हुए हैं जो निर्विरोध चुने गये। 1951 के बाद कई मौके ऐसे आये हैं, जहाँ विपक्ष या तो पीछे हट गया या फिर उनके नामांकन को किसी न किसी वज़ह से रद्द कर दिया गय। यह रिपोर्ट टीम मोलिटिक्स के सदस्य आसिफ़ द्वारा तैयार की गयी है।



निर्विरोध चुना जाना कोई नयी बात नहीं


सूरत लोक सभा सीट पर 7 मई को मतदान होना था लेकिन जिला निर्वाचन कार्यालय के अनुसार, बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल को छोड़कर सूरत लोकसभा सीट के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले सभी आठ उम्मीदवारों ने अंतिम दिन अपना नाम वापस ले लिया और कांग्रेस के उम्मीदवार का पर्चा रद्द कर दिया गया। ऐसे में इस सीट पर बीजेपी के ख़िलाफ़ मैदान में उतरने के लिए कोई और प्रत्याशी बचा ही नहीं और बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध चुन लिए गये। यहां तक की इस सीट पर इलेक्शन कमीशन ने जीत का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया। 19 अप्रैल से 7 चरणों में हो रहे इन लोकसभा चुनावों का परिणाम वैसे तो 4 जून को आने वाला है, लेकिन इससे पहले ही भारतीय जनता पार्टी का खाता खुल गया।

दरअसल, देश में अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में निर्विरोध नेताओं को  पहले भी चुना जा चुका है। 1951 से लेकर अब तक कुल 25 सांसदों को सीधे लोकसभा  आम चुनावों में चुना गया, जबकि अन्य 9 सांसदों को लोकसभा के उपचुनावों के दौरान निर्विरोध चुना गया था ।  1951-52 के आम चुनाव में पाँच सांसद निर्विरोध रूप से जीते थे जिनमें शामिल थे - आनंद चंद बिलासपुर सीट से, टीए रामलिंगम चेट्टियार कोयंबटूर सीट से, टी सांगना रायगढ़ा-फुलबनी सीट से, कृष्णा यादचार्य जोशीगीर सीट से और मेजर जनरल एचएस हिम्मासिंहजी हलार सीट से ।

इसके बाद 1957 के आम चुनाव में सबसे अधिक सात सांसद ऐसे थे जिन्हें निर्विरोध चुना गया था, जिनमें शामिल थे - डी सत्यनारायण राजू राजमुंदरी सीट से, संगम लक्ष्मी बाई विकाराबाद सीट से, बिजॉय चंद्र भगवती दरांग सीट से, मंगरुबाबू उइके मंडला सीट से, एचजे सिद्दनानजप्पा हसन सीट से, टी गणपति तिरुचेंदूर सीट और टीएन विश्वनाथ रेड्डी अन्नामैया सीट से।

इसके बाद 1962 के आम चुनाव में तीन सांसद निर्विरोध जीते थे,  जिनमे शामिल थे - मानवेंद्र शाह टिहरी गढ़वाल सीट से, टीटी कृष्णामाचारी तिरुचेंदूर सीट से और हरेकृष्ण माहताब अंगुल सीट से। इसके बाद 1967 के आम चुनाव में पाँच सांसद निर्विरोध जीते थे। कनुरी लक्ष्मण राव विजयवाड़ा सीट से, आर ब्रह्मा कोकराझार सीट से, मोहम्मद शफ़ी क़ुरैशी अनंतनाग सीट से, कुशोक बकुला रिनपोछे लद्दाख सीट से और सेनयांगबा चुबातोशी जमीर या एस.सी जमीर नागालैंड की लोक सभा सीट से।

इसके बाद 1971 के आम चुनाव में एक सांसद निर्विरोध जीता था जो लक्षद्वीप की लोक सभा सीट से थे, नाम था पी.एम सईद।

इसके बाद 1977 के आम चुनाव में 2 सांसद निर्विरोध जीते थे। जिनमें शामिल थे रिनचिन खांडू खिमरे जो अरुणाचल की पश्चिम सीट से थे और छत्र बहादुर छेत्री जो सिक्किम की लोक सभा सीट से थे।

इसके बाद 1980 के आम चुनाव में फारूक अब्दुल्ला श्रीनगर सीट से निर्विरोध जीते थे। इसके बाद 1989 के आम चुनाव में 1 सांसद मोहम्मद शफी निर्विरोध जीते थे जो श्रीनगर की सीट से चुनाव लड़ रहे थे।


वे सांसद जो लोकसभा में निर्विरोध उपचुनाव जीत चुके हैं

कुल 9 सांसद ऐसे भी हैं जो लोक सभा के उपचुनाव में निर्विरोध जीत चुके हैं। साल 2012 में कन्नौज सीट पर लोक सभा उपचुनाव जीती डिम्पल यादव भी इनमें से एक है। दरअसल 2012 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद कन्नौज लोक सभा सीट से अखिलेश यादव ने इस्तीफ़ा दे दिया था। जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए। और सपा ने अपने उम्मीदवार के तौर पर डिंपल यादव को मैदान में उतारा। इस चुनाव में कांग्रेस और बसपा ने डिंपल के ख़िलाफ़ अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। वहीं अंतिम क्षण में चुनाव लड़ने का फ़ैसला करने वाली बीजेपी नामांकन का समय निकल जाने के कारण नामांकन से चूक गई। चुनाव मैदान में उतरे संयुक्त समाजवादी दल के प्रत्याशी दशरथ शंखवार तथा निर्दलीय उम्मीदवार संजू कटियार द्वारा अपना नाम वापस ले लिए जाने के बाद डिम्पल यादव को निर्विरोध सांसद घोषित कर दिया गया था। 

कुल मिलाकर अब तक लोक सभा में 34 ऐसे सांसद रहे हैं जो निर्विरोध जीते जा चुके हैं। इसके बाद अब 2024 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के मुकेश कुमार दलाल सूरत लोक सभा सीट से निर्विरोध जीत चुके हैं। जिसके बाद ये संख्या 35 हो गई है।